क्या सच में मोदीजी को लगता है की लोगों की दिवाली मन गयी। क्या ये ऐक और जुमला नही है?
मोदीजी ने तो कह दीया की लोगों की दीवाली मन गयी लेकीन क्या सच में जीएसटी में ऐसे बदलाव आए हैं की हम मान ले की अब लोगों को जीएसटी से कोई दिक़्क़त नही होगी।
काफ़ी लोग जीनके धंधे मंद पड़े हैं या लगभग बंद हो चुके हैं, क्या उनके लिए कुछ अच्छा हुआ है?
देखते हैं कुछ मुख्य फ़ेसले जो GST council मीटिंग में लिए गए थे।
अब बताइए ऊपर हुए बदलाओ में कौनसा बदलाव दीवाली लेके आया है?
सिर्फ़ ऐक घोषणा जीसकी सबको उम्मीद भी थी वो है २० लाख की सीमा जो inter-state suppliers को भी दे दी गयी है।
ये भी कोई बड़ी घोषणा नही है। जब आप एक कर, एक राष्ट्र का सपना दिखाते हो तो ये तो होना ही था। ये एक ख़ामी थी जिसे सुधारा गया है।
में मोदी आलोचक नही हूँ, में भाजपा को वोट दीया था, और कोई दूसरा विकल्प न होने के कारण २०१९ में भी भाजपा को ही वोट दूँगा लेकीन, हम इस बात से मुँह नही मोड़ सकते की
मोदीजी बस करीये, जनता त्रस्त है आपके जुमलों और सदेव चुनावी मूड से। कुछ करीये वक़्त रहते। हम आपसे अभी भी दूर नही हुए हैं, लेकीन उम्मीदों को इससे पहले किसी सरकार ने इतना नहीं तोड़ा जीतना आपकी सरकार तोड़ रही है।
आपको याद होना चाहिए की क्यों लोगों ने आप को चुना था। अगर में अपनी बात करूँ तो ये मुख्य कारण थे:
अब आप बताइए की आपकी सरकार ने कौनसा तीर मार लिया?
महँगाई में क्या कमी ला पाए आप?
भ्रष्टाचार की तो रहने दीजीए! भले ही ऊपर के लेवल पे काम हुआ हो लेकीन आम आदमी को तो कोई राहत नही मीली है और वो भी तब जब कई बड़े राज्यों में भाजपा की सरकार है। कम से कम उन राज्यों में तो डंडा चलाइए।
अभी भी वक़्त है।
लगा ही नही कब तीन साल गुज़र गये। लगा ही नही सरकार बदली भी थी।
आप ने तीन सालों में सिर्फ़ जनता का ध्यान भटकाया है असली मुद्दों से, कभी गाय के नाम पे तो कभी धर्म के नाम पे।
आपकी राजनीती आपको मुबारक, सम्भालिए इसे लेकीन क्या आप जनता को सच में इतना बेवक़ूफ़ समझते हैं?
अर्थव्यवस्था सच में गर्त में जा चुकी है। GDP साढ़े तीन प्रतिशत रह गयी है।
आप ये भी जानते हैं की २०१९ में भाजपा फिर आएगी, हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नही है। हम फिर से आपको ही वोट देंगे, लेकिन मोदीजी जागिये।
चुनाव अमीत शाहजी को सम्भालने दीजीए, आप अपने मंत्रीयो को और system सुधारिये।
अंत में इतना ही कहना चाहूँगा, की हर कोई चोर नहीं है ऐक मौक़ा तो दीजीए लोगों को सुधरने का।
दीखाइये अपना ५६ इंच का सीना और हटा दीजीए income tax को कुछ सालों के लिये। आप तो सब कुछ बदलने वाले थे फिर क्यों हमें कोंग्रेस और भाजपा सरकार में कोई फ़र्क़ नही दीखायी पड़ रहा।
में आपसे बिलकुल भी सहमत नही हूँ। इस सरकार पर सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी थी आज़ादी के बाद की सारी गंदगी को साफ़ करना। आपको लगता है इतनी सारी गंदगी सिर्फ़ ५ साल में मिटायी जा सकती है और वो भी ऐक एसे लोकतंत्र में जहाँ ९०% जनसंख्या में civic sense भी नही है।
क्या हमें सफ़ाई रखनी चाहीये या नही, ये भी सरकार को बताना पड़ेगा?
ज़माना बदल गया, लोग बदल गये। लेकीन राजनीती की सोच नही बदली। अभी भी जनता बेवक़ूफ़ ही नज़र आती है।
अगर हम इस सरकार का मूल्याँकन करें तो पाएँगे की ये सरकार ना तो आर्थीक बदलाव ला पायी, ना अपनी विचारधार देश पे थोप पायी।
जनता ने दो मानकों पे वोट दिया होगा:
ये सरकार दोनो में ही असफल रही। एक बार तो माफ़ कीया भी जा सकता है की चलो पहले की नरम अथवा वाम विचारधार से अलग पार्टी ने सरकार बनायी है तो थोड़ी उथल पुथल होगी।
अब लगता भी नही की आने वाले तीन सालों में कोई काम होगा भी।
एक साल तो गया गुजरात चुनावों में बाद में सरकार लग जाएगी २०१९ के चुनावों की तैयारी में।
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